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लेखनी कहानी - प्रेतों के खेल से काँप उठी मेरी रूह - डरावनी कहानियाँ

प्रेतों के खेल से काँप उठी मेरी रूह - डरावनी कहानियाँ

 यह घटना आज से 12 साल पहले की है उन दिनों मै बिहार के एक छोटे से गाँव हसनपुर के अस्पताल में कार्यरत था | एक रात अस्पताल में ज्यादा मरीजो की वजह से रात की 12 बज गयी थी | उस रात तेज बारिश हो रही थी | मै भीगते भागते अपने घर पंहुचा | कपड़े गीले हो जाने की वजह से मैं अपने कपडे बदल ही रहा था कि अचानक दरवाज़ा खटखटाने की आवाज आयी | मैंने सोचा “इतनी रात को कौन आया होगा ” |


सुनसान रास्तो से होते हुए वो लडकी मुझे 5 -7 किलोमीटर दूर एक दुसरे गाँव में ले गयी | मैंने सोचा कि ये लडकी इतनी रात को मेरे यहा कैसे पहुची | लेकिन मैंने इन बातो की तरफ ध्यान ना देते हुए एक मकान में पहुचे और वहा उसकी माँ बीमार पलंग पर लेटी थी | मैंने उसकी नब्ज देखी और इंजेक्शन दे दिया और कुछ दवाये लिख दी | उस लडकी ने मुझको बाहर मेरी जीप तक मुझको छोड़ दिया | फिर मै घर पर आ गया |

अगली सुबह मै जब अस्पताल के लिए जाने लगा तो सोचा कि रात वाले मरीज से मिलता जाऊ | थोड़ा सा चक्कर ही पड़ेगा रास्ते में जाने को ये सोचकर मै वहा गाँव में पंहुचा | मै रात को जिस मकान में गया वो उस जगह पर मुझे नहीं दिखा | मुझे उस जगह पर खंडहर नजर आ रहा था तो मै गाँव के लोगो से पूछने लगा कि यहा एक घर और परिवार रहता है तो लोगो ने हैरानी से देखते हुए कहा कि यहा ऐसा कोई घर नहीं है | ये सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए | मैं सोचने लगा कि रात को जो मेरे साथ हुआ वो क्या था | वहा के लोगो ने बताया ये प्रेत लीला है सो हर साल किसी एक इन्सान के साथ होती है| ये तो गनीमत है कि आप जिन्दा बच गए वरना वो आत्मा आपको जिन्दा नहीं छोडती |

मै हालँकि भूत प्रेत में ज्यादा विश्वास नहीं करता था | मै जब गाँव वालो के साथ उस खंडहर में पंहुचा तो उस खंडहर के बाहर मेरी जीप के पहिये के निशान थे और वो इंजेक्शन और दवा भी वही पडी थे | मैंने बिना लोगो से ओर बाते किये फिर से घर लौट आया और घर वालो को सारी बात बताई | उसके कुछ दिनों बाद मेरा तबादला दुसरे गाँव में हो गया लेकिन उस रात की घटना के बारे में सोचकर आज भी मेरी रूह काँप जाती है |

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